cpct notes



CPCT NOTES IN HINDI

BY subodh singraha



Index

•USB (यूनिवर्सल सीरियल बस)
•मॉनिटर व LCD
•मदरबोर्ड
•साउंड कार्ड
•ग्राफ़िक कार्ड                                                                  
•इनपुट डिवाइसेस
•आउटपुट डिवाइसेस
•प्रिंटर
•सेकेंडरी मेमोरी
•मेमोरी यूनिट्स
•ऑपरेटिंग सिस्टम
• ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषतायें 
•लिनक्स (linux)
•नेटवर्क से लोग-इन व लोग-ऑफ होना
•आई पी एड्रेस (IP Adress)
•index
•Host या network आइडेंटिफिकेशन
•सॉफ्टवेर को इनस्टॉल व अपडेट करना
•स्टार्टअप से एप्लीकेशन को Disable करना
•कंप्यूटर से सॉफ्टवेर को Uninstall करना
•सेटिंग UP A NEW PERIPHERAL
•कंप्यूटर को पॉवर से सुरक्षित रखना
•Administrative व Security Concept
•डाटा का एन्क्रिप्शन
•मजबूत पासवर्ड तैयार करना
•कंप्यूटर में स्थित बग्स , स्पाई वेयर को वायरस स्कैनर से चेक करना
•कम्प्रेशन ( Compression )
•WORD
•EXCEL
•POWERPOINT
•INTERNET


USB (यूनिवर्सल सीरियल बस)

•कंप्यूटर को बाहरी डिवाइस जैसे – प्रिंटर , स्कैनर , कैमरा , मोबाइल से जोड़ने में उपयोगी|
•जोड़ने के लिए डिवाइस से जुडी USB केबल को USB PORT ( जो कि कंप्यूटर में आगे व पीछे दोनों तरफ होता है) से लगाना होता है|
•तीन VERSION
1.USB 1.0 कीबोर्ड व माउस के लिए (स्पीड 11 MBPS)
2.USB 2.0 कोई भी डिवाइस ( स्पीड 480 MBPS)
3.USB 3.0 सुपर SPEED USB (स्पीड 3.8 GBPS) इंटरफ़ेस पर नीले रंग की स्ट्रिप 
•USB (यूनिवर्सल सीरियल बस)
•USB कनेक्टर
1.टाइप 1 – फ्लैट आकार  (कीबोर्ड, माउस , मोबाइल फ़ोन , पैन ड्राइव)
2.टाइप 2 – चौकोर आकार   (स्कैनर , प्रिंटर , हार्ड ड्राइव्स )
3.टाइप 3 - चौकोर आकार (कैमरा , MP3 प्लेयर )

मॉनिटर व LCD

•मॉनिटर एक प्रकार का डिस्प्ले यूनिट है जो कंप्यूटर के समस्त कार्य को स्क्रीन पर दिखाता है |
•Monitor के मुख्य प्रकार
1.Crt ( Cathode Ray Tube )
2.Lcd ( Liquid crystal display )
3.Led ( light emitting diode )

मदरबोर्ड

•एह एक ऐसा बोर्ड जो कंप्यूटर के सभी पार्ट्स को जोड़ने का कम करता है|
•कंप्यूटर के सभी पार्ट्स को मदरबोर्ड पर जोड़ा जाता है |
•मुख्य कंपनिया INTEL ,ASUS , MSI, Zebronics इत्यादि है |  
•मदरबोर्ड
•मुख्य भाग - 
1.प्रोसेसर सॉकेट
2.पॉवर कनेक्टर
3.मेमोरी स्लाट्स
4.विडियो कार्ड्स स्लाट्स
5.एक्सपेंशन स्लाट्स  - टीवी टुनर , विडियो कैप्चर कार्ड इत्यादि सॉफ्टवेर के लिए
6.IDE और SATA पोर्ट
7.BIOS चिप और बैटरी  -
8.नार्थ ब्रिज व साउथ ब्रिज
9.फ्रंट पैनल कनेक्टर , USB हैडर और ऑडियो हैडर
10.रियर कनेक्टर

साउंड कार्ड (SOUND CARD)

•यह कार्ड कंप्यूटर की डिजिटल डाटा को साउंड में बदलता है |
•साउंड कार्ड के द्वारा कंप्यूटर को स्पीकर से जोड़ा जाता है |
•ज्यादातर मदरबोर्ड में साउंड कार्ड पहले से होता है |
•साउंड कार्ड के चार घटक
1.DAC -  यह डिजिटल डाटा को एनालॉग साउंड में बदलता है |
2.ADC – यह एनालॉग साउंड को डिजिट रिकॉर्डिंग में बदलता है |
3.PCI – इसके द्वारा साउंड कार्ड मदरबोर्ड में जुड़ता है |
4.INPUT/OUTPUT कनेक्टर – इसके द्वारा स्पीकर व हैडफ़ोन को जोड़ते है |   

ग्राफ़िक कार्ड (GRAPHIC CARD)

•यह कार्ड इमेज को स्क्रीन पर डिस्प्ले (दिखाता) करता है |
•कंप्यूटर CPU इमेज से सम्बंधित साडी जानकारी को ग्राफ़िक कार्ड को भेजता है |
•ग्राफ़िक कार्ड को निम्नं घटकों की जरुरत होती है
1.मदरबोर्ड – जिसके द्वारा यह कंप्यूटर डाटा और पॉवर से जुड़ता है |
2.प्रोसेसर – जो यह बताये कि इमेज में पिक्सेल के साथ क्या कार्य करना है |
3.मेमोरी – पिक्चर से सम्बंधित जानकारी को सुरक्षित करने के लिए
4.मॉनिटर – जो इमेज को दिखा सके |


इनपुट डिवाइसेस(Input devices)

1.KEYBOARD ( कीबोर्ड )
2.MOUSE (माउस)
3.JOYSTICK (जॉयस्टिक)
4.LIGHT PEN (प्रकाशीय पेन )
5.BAR CODE READER(बार कोड रीडर )
6.DIGITAL CAMERA(डिजिटल कैमरा)
7.SCANNER (स्कैनर)
8.MICR (Magnetic Ink Character Recognition)
9.OMR ( Optical Mark Reader)
10.MIKE OR Microphone
11.TOUCH SCREEN (टच स्क्रीन)
12.CARD READER ( कार्ड रीडर)
13.BIOMETRIC (बायोमेट्रिक) SENSOR
14.OCR (Optical Character Recognition)
15.Graphics Tablet : Digitizer , Drawing Tablet , Pen Tablet or Digital Art Board

आउटपुट डिवाइसेस (Output devices)

•MONITOR (मॉनिटर) – VDU (Visual Display Unit) भी कहते है |
1.CRT ( Cathode Ray Tube) मॉनिटर – CURVED (थोड़ी मुड़ी) स्क्रीन
2.LCD (Liquid Crystal Display) मॉनिटर – पतले व हल्के , कम जगह | शीशे की दो भिन्न परत के मध्य लिक्विड परत होती है |
3.TFT (Thin Film Transistor)मॉनिटर– LCD फ्लैट पैनल डिस्प्ले का प्रकार,महंगा
•PRINTER (प्रिंटर) – हार्ड कॉपी प्राप्त की जाती है |
•PLOTTER (प्लॉटर) – बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता के रेखाचित व ग्राफ
•SCREEN PROJECTOR (स्क्रीन प्रोजेक्टर) – कंप्यूटर स्क्रीन को बड़े परदे पर
•SPEAKER (स्पीकर)

प्रिंटर (PRINTER )

•IMPACT एंड NON-IMPACT प्रिंटर – डॉट मैट्रिक्स इम्पैक्ट है |
•प्रिंटर के प्रकार –
1.डॉट मैट्रिक्स – अक्षरों को छापता है |एक साथ बहुत सारे पेपर को प्रिंट कर सकता है|  अधिक आवाज , कम स्पीड 500 CPS(करैक्टर PER सेकंड  , प्रिंट गुणवत्ता (9,18 व 24 पिन – ज्यादा पिन बेहतर गुणवत्ता), रिबन |
2.इंकजेट प्रिंटर – पेपर पर इंक छिडककर काम करता है |गुणवत्ता को DPI (डॉट्स पर इंच) में नापते है जो 1220*2440 होती है | कार्ट्रिज इंक |
3.लेज़र प्रिंटर – प्रिंट के लिए लेज़र बीम | टोनर कार्ट्रिज | DPI 2440*4880 | SPEED को PPM ( पेपर per मिनट) में नापते है |
4.फोटो प्रिंटर  -  फोटो के लिए
5.आल इन वन प्रिंटर
6.वायरलेस प्रिंटर
7.3D प्रिंटर

सेकेंडरी मेमोरी

•FLOOPY DISK – चुम्बकीय रूप में डाटा स्टोर करती है | चलन से बाहर|
•CD(COMPACT DISK) – DIGITAL ऑप्टिकल डाटा स्टोरेज विधि पर कार्य करता है| CD-R व CD-RW दो प्रकार है| 700 MB कैपेसिटी |
•DVD (DIGITAL VERSATILE DISK या DIGITAL VIDEO DISC) – दो प्रकार DVD –R व DVD –RW है | सिंगल साइड सिंगल लेयर DVD (4.7 GB) ज्यादा प्रचलित है |डबल साइड डबल लेयर की कैपेसिटी 17 GB होती है|
•BRD ( BLUE RAY DISK) – CD व DVD का परिवर्तित रूप है| डबल लेयर डिस्क की कैपेसिटी 50 से 100 GB तक होती है |
•USB PEN ड्राइव –
•SSD (SOLID STATE DRIVE) – इसमें कोई मूविंग पार्ट नहीं होता |

मेमोरी यूनिट

•BIT – 0 व 1
•NIBBLE – 4 बिट
•BYTE – 8 बिट
•KB = 1024 बाइट
•MB
•GB
•TB(TERA BYTE)
•PB(PETA BYTE)

ऑपरेटिंग सिस्टम

•एक सिस्टम सॉफ्टवेयर जो कंप्यूटर सिस्टम को चलाता है |
•यूजर व कंप्यूटर के बीच मध्यस्थ |
•रिसोर्स (हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर ) मेनेजर|
•कार्य –
1.FILE SYSTEM -  फाइल बनाना व मिटाना इत्यादि
2.प्रोसेसिंग
3.इनपुट/आउटपुट
•प्रकार –
1.LINUX
2.MacOs
3.MS-DOS
4.UNIX
5.Windows

ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताएं

•मेमोरी प्रबंधन
•मल्टी प्रोग्रामिंग
•मल्टी प्रोसेसिंग
•मल्टी टास्किंग
•मल्टी थ्रेडिंग
•रियल टाइम

लिनक्स (LINUX)

•मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है |
•यह अपने से जुड़े सभी यूज़र्स को अलग फाइल सेट व डायरेक्टरी से जोड़ देता है जिससे किसी यूज़र की फाइल को दूसरा नहीं प्राप्त कर सकता |
•GUI विंडो –      X-विंडो
•वेब सर्वर – APACHE
•मुख्य भाग KERNEL होता है जो सामान्य यूजर की पहुँच में नहीं होता अतः LINUX पूरी तरह वायरस से सुरक्षित है |

नेटवर्क से LOG IN व LOG OFF होना

•नेटवर्क में सुचना को रिमोट सिस्टम अर्थात सर्वर पर रखते है |
•सिक्यूरिटी के लिए नेटवर्क में प्रत्येक यूजर का एक अकाउंट (यूजर नाम व पासवर्ड)  होता है |
•यूजर नेम व पासवर्ड से अकाउंट में प्रवेश करना LOG इन या SIGN इन कहलाता है |
•अकाउंट से बाहर आने को LOG OFF या SIGN OUT कहते है |
•यूजर नेम नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा प्रदान किया जाता है


आई पी(इन्टरनेट प्रोटोकॉल) एड्रेस (IP ADRESS)

•नेटवर्क में प्रत्येक डिवाइस का यूनिक न्यूमेरिक एड्रेस है|
•यह एक लॉजिकल एड्रेस है जिसके द्वारा नेटवर्क के कंप्यूटर तक पहुचंते है|
•एड्रेस के दो भाग होते है -  नेटवर्क भाग ,  होस्ट भाग
•दो VERSION 
1.IPv4 (32 BIT)
2.IPv6 (128 BIT)
•किसी भी नेटवर्क में IP एड्रेस को निर्धारित करने के लिए SUB-NETTING व SUPER SUB-NETTING का प्रयोग किया जाता है |


Host या नेटवर्क इंटरफ़ेस आइडेंटिफिकेशन

•होस्ट को IP एड्रेस से पहचानते है जिसे पता करने के निम्नं तरीके है
1.PING कमांड à PING <कंप्यूटर नेम>
2.IPCONFIG कमांड à C:\>ipconfig
3.नेटवर्क व शेयरिंग सेंटर की सहायता से |
•नेटवर्क की कनेक्टिविटी के लिए भौतिक सत्यापन
1.PING COMMAND à PING IpAddress
2.नेटवर्क केबल को चेक करना à केबल की लिंक लाइट्स को चेक करना व RJ 45 कनेक्टर को चेक करना |

सॉफ्टवेर को इनस्टॉल व अपडेट करना

•हमें अपने सिस्टम पर किसी खास कार्य को करने के लिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेर की आवश्यकता होती है |
•कंप्यूटर में यदि सॉफ्टवेयर इनस्टॉल नहीं है तो हम CD/DVD/PEN ड्राइव या इन्टरनेट से डाउनलोड की हुई SETUP फाइल के द्वारा यह कार्य कर सकते है |
•कुछ सॉफ्टवेर FREEWARE (नि:शुल्क) होते है|
•सॉफ्टवेयर में समय समय पर बदलाव होते रहते है उन बदलावों को अपने सिस्टम में लाने के लिए हमें सॉफ्टवेयर को अपडेट करना होता है | 

Startup से एप्लीकेशन को Disable करना

•ALT+CTRL+DELETE  का उपयोग करने के बाद  हम टास्क मेनेजर में पहुँच सकते है| जहाँ से हम STRATUP का चुनाव करते है |
•WINDOW KEY + R से RUN विंडो में आने के बाद msconfig लिखकर भी हम आने वाली विंडो से startup चुन सकते है |
•यहाँ पर हमें कंप्यूटर के स्टार्ट होने पर बैकग्राउंड में चलने वाली प्रोसेस की लिस्ट दिखाई देती है जो कंप्यूटर को धीमा भी करती है |
•यहाँ से हम जरुरी प्रोसेस के आलावा बाकी प्रोसेस को डिसएबल कर सकते है | 

कंप्यूटर से सॉफ्टवेर को Uninstall करना

•यह कार्य control panel के प्रोग्राम व फीचर आप्शन से होता है |
•आप्शन चुनने के बाद हम अनावश्यक सॉफ्टवेर को UNINSTALL कर सकते है |

सेटिंग UP A NEW PERIPHERAL

•COMPUTER से जुड़ने वाली विभिन DEVICES को PERIPHERAL DEVICE कहलाती है|
•कीबोर्ड व माउस कनेक्ट करने पर ही इनके ड्राईवर अपने आप इनस्टॉल हो जाते है |
•प्रिंटर व स्कैनर को इनस्टॉल करने के लिए इन्हें कनेक्ट करने के बाद START पर क्लिक करने के बाद PRINTERS AND SCANNERS टाइप करते है व यहाँ पर ADD A PRINTER OR SCANNER चुनते है| आने वाले इंस्ट्रक्शन को फॉलो करते जाते है |

कंप्यूटर को पॉवर से सुरक्षित रखना

•इसके लिए हमें निम्नं उपाय करने चाहिए
1.वोल्टेज कंट्रोलर -  अधिक वोल्टेज को कण्ट्रोल करने के लिए | यह एक सस्ता उपाय है |
2.UPS (Uninterupted Power Suppy) -  इससे हमें कुछ समय का बैकअप मिल जाता है जिससे हम जरुरी फाइल सेव कर कंप्यूटर सही तरीके से बंद कर सकते है| 
3.इमरजेंसी पॉवर जनरेटिंग डिवाइस  - पॉवर के कट होने पर कंप्यूटर को चलाने के लिए
4.ओवरलोडिंग ऑफ़ सर्किट्स – ओवरलोडिंग को टालाना चाहिए |
5.पॉवर tempreture – कुलिंग संसाधन का उपयोग करना चाहिए | 

Administrative व Security Concept

•Restore point बनाना चाहिए ताकि हम सिस्टम एक निश्चित बिंदु पर कभी भी ला सके |
•डाटा का एन्क्रिप्शन
•डाटा के मूल रूप को छुपाने को Encryption कहते है Encryption के बाद प्राप्त टेक्स्ट को cipher(साइफर) टेक्स्ट कहते है | साइफर टेक्स्ट से प्लेन टेक्स्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया Decryption कहलाती है |
•इसका उपयोग डाटा को इन्टरनेट पर भेजने के लिए करते है |
•एन्क्रिप्शन के लाभ  -
1.ऑथेंटिकेशन (प्रमाणीकरण)
2.इंटीग्रिटी (शुद्धता )
3.नॉन- Repudiation (स्पष्ट उत्तरदायित्व)

अपने डाटा व्यक्तिगत व सुरक्षित रखना

•डाटा एन्क्रिप्शन -  इन्टरनेट या नेटवर्क में डाटा भेजते समय |
•बैकअप – बैकअप होने पर डाटा को जरुरत पड़ने पर रिकवर कर सकते है|
•बैकअप के क्लाउड का उपयोग – इन्टरनेट पर बैकअप |
•इनस्टॉल ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट
•सिक्योर वायरलेस नेटवर्क
•मजबूत पासवर्ड का उपयोग – पासवर्ड अल्फाबेट , नंबर्स व स्पेशल सिंबल का   मिश्रण होना  चाहिए |
•फायरवाल का उपयोग 
•कंप्यूटर में स्थित बग्स , स्पाई वेयर को वायरस स्कैनर से चेक करना

कम्प्रेशन ( Compression )

•फाइल की साइज़ को कम करना Compression कहलाता है |
•कम साइज़ की फाइल को इन्टरनेट पर सेंड भेजना सरल होता है |
•WinZip व WinRar प्रचलित सॉफ्टवेयर है |
•कॉम्प्रेस फाइल को रीड करने से पहले Decompress भी करना होता है | 

WORD

  वर्ड का उपयोग टाइपिंग कार्य के लिए होता है। टाइपिंग संबंधी किसी भी तरह का कार्य जैसे- पत्र लिखना हो या रिपोर्ट बनानी हो या बायोडाटा बनाना हो इत्यादि समस्त प्रकार के कार्य वर्ड में होते हैं। वर्ड एमएस ऑफिस का एक पार्ट है इसके विभिन्न वर्जन है वर्तमान समय में 2016 वर्जन चल रहा है।
   वर्ड  के अंतर्गत हम निम्न टॉपिक का अध्ययन सीपीसीटी के लिए करेंगे - 
  •         Creating a document
  •        Using spell check
  •        Creating tables
  •        Working with header and footer

  Creating a Document

    वर्ड में बनने वाली फाइल डॉक्यूमेंट फाइल कहलाती है। फाईल  का निर्माण हम फाइल मेनू के न्यू कमांड के द्वारा करते हैं। नई फाइल के अंतर्गत हम ब्लैंक डॉक्यूमेंट या अपने लिए बने हुए टेंप्लेट दोनों में से किसी का चुनाव कर सकते हैं। Blank document विकल्प के द्वारा बनने वाली फाइल पूरी तरह खाली होती है ज्यादातर हम इसी विकल्प का प्रयोग करते हैं| टेंप्लेट का चुनाव करने पर प्रारूप बना होता है व हमें टेक्स्ट कहां पर लिखना है इसकी जानकारी भी मिल जाती है उपयोग होने वाले प्रमुख टेंप्लेट के अंतर्गत लेटर टेंप्लेट, रिज्यूम टेंप्लेट, रिपोर्ट टेंप्लेट इत्यादि आते हैं|

 Using Spell Check 

    Word document मैं लिखे गए टेक्स्ट की स्पेलिंग भी हम कमांड के द्वारा चेक कर सकते हैं| वर्ल्ड 2016 में स्पेलिंग कमांड रिव्यू TAB के अंतर्गत होता है इस कमांड के द्वारा हम जरूरी स्पेलिंग चेक करके बदलाव कर सकते हैं| 

Creating Tables 

    टेबल का निर्माण वर्ड का एक महत्वपूर्ण फीचर है| टेबल संबंधी समस्त कमांड INSERT TAB  में होते है। वर्ड में टेबल बनाने के कई तरीके हैं अर्थात कई कमांड है वा यह सभी कमांड इंसर्ट टैब के टेबल सेक्शन के अंतर्गत आते हैं। मुख्य कमांड निम्न है - 
    1) INSERT TABLE-  (इंसर्ट टेबल) कमांड के द्वारा हम रो व कॉलम की संख्या टाइप कर टेबल इंसर्ट कर सकते हैं|
    2) DRAW TABLE-  DRAW टेबल कमांड के द्वारा हम PENCIL व रबर के द्वारा अपनी फाइल में टेबल का निर्माण कर सकते हैं| 
    3) Convert Text to Table command - इस कमांड के द्वारा हम व्यवस्थित तरीके से लिखे हुए टेक्स्ट को टेबल में बदल सकते हैं।
    4) Excel Spreadsheet command - इस कमांड के द्वारा हम वर्ड फाइल में एक्सेल शीट ला सकते हैं व इस शीट में एक्सेल के सभी फार्मूला व फीचर का उपयोग कर सकते हैं।
    5) QUICK TABLE - क्विक टेबल कमांड के द्वारा हम बनी हुई टेबल अपनी फाइल में ला सकते हैं|

  Working with Header and Footer 

   यदि हमें किसी टेक्स्ट को हर पेज में ऊपर लिखना है तो हम उसे HEADER में लिख देते हैं|इसी प्रकार हर पेज में नीचे लिखे जाने वाले टेक्स्ट को हम FOOTER में लिख सकते हैं| एक बार टेक्स्ट हमने HEADER,FOOTER में लिख दिया तो वह डॉक्यूमेंट के सभी पेज में लिख जाएगा| यह टेक्स्ट उन पेज में भी लिख जाएगा जो भविष्य में बन सकते हैं| हेडर, फूटर डॉक्यूमेंट में लाने के लिए हम INSERT TAB के हेडर एंड फूटर सेक्शन के क्रमशः हेडर, फुटर कमांड का प्रयोग करते हैं |इसी सेक्शन के पेज नंबर कमांड के द्वारा हम डॉक्यूमेंट के प्रत्येक पेज में पेज नंबर ला सकते हैं|

 मेल मर्ज(Mail Merge) 

    मेल मर्ज वर्ड का ऐसा फीचर है जिसके द्वारा हम कई लोगों को एक ही जैसा भेजा जाने वाला संदेश तैयार कर सकते हैं | मेल मर्ज मुख्यतः तीन चरणों में संपन्न किया जाता है - 
    1) प्रथम चरण में हम संदेश का निर्माण करते हैं जो सभी के लिए कामन है|
    2) द्वितीय चरण में हम उन लोगों की सूची तैयार करते हैं जिन्हें संदेश भेजना है| सूची के लिए हम मेलिंग टेब के SELECT RECIPIENTS कमांड का प्रयोग करते हैं|
    3) तृतीय चरण में हम संदेश में आवश्यक जगह पर नाम व अन्य फील्ड INSERT करते हैं|

    अब हम मेलिंग टेब के फिनिश एंड मर्ज कमांड वाला मेल मर्ज को पूरा कर लेते हैं |


EXCEL 

    एक्सेल एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसका प्रयोग हम आंकड़ों के लिए करते हैं| यदि हम जिस टेबल पर कार्य कर रहे हैं जिसमें अत्यधिक आंकड़े हैं व हमें उन पर बहुत सारे फॉर्मूले  का प्रयोग करना है तब एक्सेल एक उपयुक्त सॉफ्टवेयर है| अर्थात यदि हमें नंबर व  डिजिट में डील करना है तो इसके लिए एक्सेल का उपयोग किया जाता है । 

Using Formulas 

    एक्सेल में FORMULA TAB में लगभग सभी तरह के फार्मूला उपलब्ध होते हैं| हम अपनी आवश्यकतानुसार फार्मूला का उपयोग कर सकते है। FORMULA TAB में फार्मूला विभिन्न कैटेगरी में विभाजित होते हैं जैसे -  Autosum, Financial, Logical, Text, Date and Time व  Math and trigonometry इत्यादि। हम कैटेगरी में जाकर आवश्यक फार्मूले को चुन सकते हैं FORMULA TAB से फार्मूला चुनने पर हमें टेंप्लेट मिल जाता है जिसमें हमें केवल इनपुट VALUE लिखनी होती है अर्थात यदि हमें फॉर्मूला लिखना नहीं आता तो यह कार्य फार्मूला TAB से  आसानी से हो जाता है।  हम फार्मूला स्वयं भी लिख सकते हैं जिस CELL में हम फार्मूला लिखते हैं वहां पर प्रथम अक्षर ( = ) बराबर का होना चाहिए| सामान्यतः हम फॉर्मूला तब लिखते हैं जब हमें कई तरह के फार्मूले को मिलाकर एक फॉर्मूला बनाना होता है। 

References 

    रिफरेंस  एक्सेल में निम्न तीन तरह के होते हैं - 

  1.         Absolute Reference 
  2.         Relative Reference 
  3.         Mixed Reference    

     1)  Absolute Reference -  इस प्रकार के रिफरेंस में हम जिस सेल का Reference  देते हैं वह निश्चित रहता है| इसके लिए हम रो और कॉलम दोनों के पहले डॉलर का प्रयोग करते हैं|
    जैसे - $B$2
     2)  Relative Reference -  इसके लिए हम सिंपल CLOUMN का नाम वा ROW का नाम लिखकर CELL को व्यक्त करते हैं |जैसे - B2 | इसमें फार्मूले के परिणाम CELL  के अनुसार इनपुट वाला सेल बदलता रहता है| अर्थात यदि हमने A1 and B1  का योग C1 पर प्राप्त किया है तो C2 पर A2 व B2 का योग प्राप्त होगा|
     3) Mixed reference -  इसमें हम रो या कॉलम नेम में से किसी एक के पहले डॉलर का प्रयोग करते हैं जिसके पहले डॉलर लगा है वह Absolute रहेगा वह दूसरा Relative रहेगा|
      जैसे - $B2 , B$2  

    Macro

  परिभाषा - यदि हमें बहुत सारे कमांड को एक साथ कई बार चलाना हो, तो ऐसा काम हम मैक्रो बना कर कर सकते हैं अर्थात बहुत सारे कमांड के समूह को मैक्रो कहते हैं | मैक्रो बनाने से फायदा यह होता है कि हमें समूह में स्थित कमांड को बार बार क्लिक नहीं करना होता केवल मैक्रो रन करने से सारे कमांड एग्जीक्यूट हो जाते हैं| 

    मैक्रो रिकॉर्ड करना व रन करना 

    मैक्रो रन करने से पहले हमें मैक्रो को रिकॉर्ड करना होता है मैक्रो कमांड के विभिन्न ऑप्शन  VIEW TAB में होते है |  मैक्रो कमांड के अंदर मुख्यतः दो विकल्प होते हैं 
  1.     VIEW MACRO 
  2.     RECORD MACRO 

     व्यू मैक्रो में क्लिक करने पर हमें पहले से बने मैक्रो की सूची दिखाई देती है हम इस सूची में से किसी भी मैक्रो को चुनकर रन कर सकते हैं|  
    रिकॉर्ड मैक्रो का उपयोग मैक्रो को रिकॉर्ड करने के लिए होता है यदि आप रिकॉर्ड मैक्रो में क्लिक करते हैं तो उसकी जगह स्टॉप मैक्रो कमांड आ जाता है जिसके द्वारा हम मैक्रो की रिकॉर्डिंग को रोक सकते हैंैै

https://m.facebook.com/Subodh-Singraha-298159224322820/?ref=bookmarks

Post a Comment

thank you for connecting with us.

और नया पुराने